No.1: ग्रहों से संबंधित जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है (विशेष रूप से राहु-केतु के लिए)
- छाया ग्रह
- द्वारपाल
- भगवान शिव के द्वारपाल
- फिजिकल एग्जिस्टेंस नहीं
- शक, वहम के कारक
- ईगो (घमंड)
- तीर्थ यात्रा से शुद्धता
- नवग्रह की शुभता
- गारंटेड रेमेडी
- छाया रूपेण संस्थिता (माता दुर्गा के लिए)
- गणेश जी का सर
- राहु – सरस्वती की पूजा से शुभ
- केतु – गणपति की पूजा से शुभ
- राहु-शनि-केतु
- पक्षियों का भंडारा
- चींटी – आत्मा युक्त प्राणी
- सबसे छोटा प्राणी भी आत्मा युक्त
No.2: राहु-केतु की शुभता प्राप्त करने हेतु वैदिक/शास्त्रीय उपाय (विस्तार से)
-
भगवान शिव की साधना करें
- राहु और केतु शिव के द्वारपाल हैं, इसलिए शिव की पूजा से इनका अनुकूल फल प्राप्त होता है।
-
तीर्थ यात्रा करें (वर्ष में दो बार)
- गंगा स्नान जैसे पवित्र तीर्थों में स्नान करना शुभ फल देता है।
- तीर्थ यात्रा से लौटकर वहां से पवित्र जल और पवित्र मिट्टी लेकर आएं।
-
घर में पवित्र पौधा लगाएं
- तीर्थ से लाई मिट्टी में तुलसी या अन्य पवित्र पौधा बालकनी या आंगन में लगाएं।
- उसकी सेवा करें — इससे नवग्रहों की शांति होती है।
-
तुलसी सेवा (डेली रूटीन)
- प्रतिदिन तुलसी को जल दें और संध्या को घी का दीपक जलाएं (रविवार छोड़कर)।
-
माता दुर्गा की पूजा करें
- दुर्गा सप्तशती में “या देवी सर्वभूतेषु छाया रूपेण संस्थिता” मंत्र से छाया ग्रहों (राहु-केतु) को प्रसन्न किया जा सकता है।
-
गणपति आराधना (केतु के लिए)
- गणेश जी का सिर भी कट चुका था, अतः केतु (जिसका सिर नहीं है) की शुभता के लिए गणपति पूजन अत्यंत फलदायक है।
-
सरस्वती पूजा (राहु के लिए)
- सरस्वती माता की पूजा करने से राहु का दोष शांत होता है और बुद्धि शुद्ध होती है।
-
निम्न वर्ग (सफाई कर्मचारी, गरीब) का सम्मान करें
- सफाई कर्मचारी को घर से निकलते वक्त कुछ पैसे दें — दिन शुभ रहेगा और राहु-केतु की कृपा मिलेगी।
-
पक्षियों का भंडारा करें
- पक्षियों को दाना डालना — इससे हजारों आत्माओं को अन्न मिलता है, राहु-शनि-केतु प्रसन्न होते हैं।
-
चींटियों को आटा-शक्कर देना
- महीने में 1-2 किलो आटा और शक्कर से हजार आत्माओं की सेवा होती है।
- बहुत कम पैसे में अत्यधिक पुण्य फल और ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है।