पुष्कर नवांश: वैदिक ज्योतिष का एक रहस्यमयी शुभ योग

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पुष्कर नवांश: वैदिक ज्योतिष का एक रहस्यमयी शुभ योग

वैदिक ज्योतिष में पुष्कर नवांश एक दिव्य और अत्यंत शुभ स्थान माना जाता है। नक्षत्रों के कुल 108 नवांश पादों (Navamsha divisions) में से केवल 24 नवांश को पुष्कर नवांश कहा गया है। अगर आपकी जन्म कुंडली (D1 चार्ट) में कोई ग्रह ऐसे नवांश में चला जाता है, तो वह ग्रह बहुत ही शुभ और फलदायक बन जाता है — चाहे वह 6, 8 या 12 जैसे अशुभ भावों में ही क्यों न बैठा हो।

Pushkar navansh D-9 Chart


पुष्कर नवांश क्या होता है?

हर राशि 30 अंश की होती है और उसे 9 भागों में बाँटा गया है, जिन्हें नवांश कहते हैं। एक नवांश का विस्तार होता है 3 अंश 20 मिनट। D9 यानी नवांश कुंडली किसी भी ग्रह की गहराई, आत्मिक शक्ति और वास्तविक फल को दर्शाती है।

अब, चार तत्वों (अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल) की राशियों में से हर एक राशि में केवल दो पुष्कर नवांश होते हैं। इन नवांशों में ग्रह अगर स्थित हो जाए, तो उसकी शुभता कई गुना बढ़ जाती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:


अग्नि तत्व की राशियाँ: मेष, सिंह, धनु

इन राशियों में, 7वां और 9वां नवांश पुष्कर नवांश माने जाते हैं।

  • 7वां नवांश: जब ग्रह 20°00’ से 23°20’ अंश के बीच हो
  • 9वां नवांश: जब ग्रह 26°40’ से 30°00’ अंश के बीच हो

अगर कोई ग्रह मेष, सिंह या धनु राशि में इन अंशों में है, और नवांश कुंडली में भी पुष्कर नवांश में चला गया है, तो वह अत्यंत शुभ फल देगा।


पृथ्वी तत्व की राशियाँ: वृषभ, कन्या, मकर

इन राशियों में 3वां और 5वां नवांश पुष्कर नवांश होते हैं:

  • 3वां नवांश: 6°40’ से 10°00’ अंश
  • 5वां नवांश: 13°20’ से 16°40’ अंश

अगर कोई ग्रह इन डिग्रियों के बीच वृषभ, कन्या या मकर राशि में बैठा हो, तो वह पुष्कर नवांश में माना जाएगा।


वायु तत्व की राशियाँ: मिथुन, तुला, कुंभ

इन राशियों में 6वां और 8वां नवांश पुष्कर नवांश माने जाते हैं:

  • 6वां नवांश: 16°40’ से 20°00’ अंश
  • 8वां नवांश: 23°20’ से 26°40’ अंश

यदि ग्रह इन अंशों में हो, तो वह ग्रह भी अत्यधिक शुभ परिणाम देने में सक्षम होगा।


जल तत्व की राशियाँ: कर्क, वृश्चिक, मीन

इन राशियों में 1वां और 3वां नवांश पुष्कर नवांश होते हैं:

  • 1वां नवांश: 0°00’ से 3°20’ अंश
  • 3वां नवांश: 6°40’ से 10°00’ अंश

यदि ग्रह इन डिग्रियों में हो तो वह पुष्कर नवांश का फल देगा, चाहे वह ग्रह जन्म कुंडली में कहीं भी स्थित हो।


पुष्कर नवांश क्यों होता है इतना शक्तिशाली?

पुष्कर नवांश में स्थित ग्रह की आत्मिक शक्ति, शुभता और फल देने की क्षमता बहुत अधिक हो जाती है। यहां तक कि यदि कोई पाप ग्रह (जैसे शनि, मंगल) भी इस नवांश में चला जाए, तो वह शुभता देने लगता है। इसी तरह, शुभ ग्रह (बृहस्पति, शुक्र, बुध) यदि इसमें स्थित हों, तो वे जीवन में उच्चतम फल देते हैं — जैसे विद्या, धन, वैवाहिक सुख, सम्मान, और आध्यात्मिक उन्नति।

यदि कोई ग्रह नवांश में पुष्कर नवांश में होने के साथ-साथ शुभ दृष्टि या योग में भी शामिल हो, तो वह जीवन का गेम-चेंजर साबित होता है।


उदाहरण से समझें (मेष राशि)

मान लीजिए आपकी कुंडली में मंगल 22°00’ पर मेष राशि में बैठा है। अब मेष अग्नि तत्व की राशि है, और 20°00’ से 23°20’ का क्षेत्र 7वां नवांश है — यानी पुष्कर नवांश। इसका अर्थ यह हुआ कि आपका मंगल बहुत ही शुभ स्थिति में है, भले ही वह 6वें, 8वें या 12वें भाव में क्यों न बैठा हो। नवांश कुंडली में मंगल की यह स्थिति ऊर्जा, निर्णय क्षमता, वीरता और सफलता प्रदान करेगी।


निष्कर्ष:

पुष्कर नवांश वैदिक ज्योतिष का एक गूढ़ और दिव्य तत्व है, जो बहुत कम लोगों को पता होता है। यदि आप अपनी कुंडली में ग्रहों की गहराई से व्याख्या करना चाहते हैं, तो पुष्कर नवांश की स्थिति को ज़रूर देखें। यह आपको बताता है कि कौन-से ग्रह आपके जीवन में सौभाग्य का कारण बनेंगे — भले ही वे सामान्य दृष्टि में कमजोर क्यों न दिखें।


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