जान लो अपने जीवन के कष्ट, D30 चार्ट से कैसे जानें उदाहरण सहित

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D30 चार्ट से जानिए जीवन में आने वाली बड़ी विपत्तियाँ | Trimsamsa Analysis in Vedic Astrology


D30 त्रिशांश


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D30 चार्ट क्या होता है?

D30 या त्रिंशांश कुंडली वैदिक ज्योतिष का वह महत्वपूर्ण विभाजन चार्ट है जो जीवन में आने वाले दु:ख, विपत्ति, रोग, दुर्घटना और मानसिक पीड़ा का सूक्ष्म विश्लेषण करता है। इसे ज्योतिष का मैग्नीफाइंग ग्लास भी कहा जाता है क्योंकि इससे हम किसी जातक की कुंडली में छिपे हुए अरिष्ट योगों को उजागर कर सकते हैं।


D30 चार्ट में कौन से भाव क्या दर्शाते हैं?

छठा भाव: रोग, शत्रु, कोर्ट केस, दुर्घटनाएँ दर्शाता है।

आठवाँ भाव: मृत्यु तुल्य अनुभव, अचानक हानि, एक्सीडेंट से जुड़ा होता है।

बारहवाँ भाव: अस्पताल, खर्च, हानि और मोक्ष से संबंधित होता है।

D30 के छठे भाव में ग्रह:D30 चार्ट में ग्रह और संबंधित व्यक्ति:


अगर सूर्य आठवें भाव में है, तो पिता को कष्ट या दुर्घटना की संभावना होती है।

अगर चंद्रमा है, तो माता को।

मंगल या बुध हो तो भाई-बहन को परेशानी।

शुक्र हो तो पत्नी को।

गुरु हो तो बड़े बुजुर्गों को।

शनि हो तो चाचा या पिता के भाई को संकट संभव।

यहाँ बैठा ग्रह उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में बीमारी, मानसिक तनाव या कोर्ट केस दे सकता है।

उदाहरण:
यदि शनि छठे भाव में है – जातक को उसकी दशा में जोड़ों की बीमारी या पुरानी थकावट।


2. D30 के आठवें भाव में ग्रह:D30 चार्ट के आधार पर दुर्घटना या विपत्ति कैसे पहचानें?


1. अगर किसी ग्रह की दशा-अंतर्दशा चल रही हो और वही ग्रह D30 में छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठा हो या उन भावों का स्वामी हो – तो उस दौरान बड़ी विपत्ति की संभावना रहती है।


2. अगर गोचर में शनि, राहु या मंगल इन भावों पर दृष्टि डालें या उस राशि से गुजरें – तो यह घटना को ट्रिगर कर सकते हैं।

D30 भाव और संभावित कष्ट का सामान्य विवरण:

छठे भाव में ग्रह हो तो वह रोग या कोर्ट केस दे सकता है।

आठवें भाव में ग्रह हो तो वह अचानक दुर्घटना, ऑपरेशन या किसी रिश्तेदार को नुकसान दे सकता है।

बारहवें भाव में ग्रह हो तो वह अस्पताल में भर्ती या भारी खर्च का कारण बन सकता है।

यहाँ बैठा ग्रह मृत्यु तुल्य कष्ट या संबंधित रिश्ते में अचानक हानि दर्शाता है।

ग्रह और संबंधित व्यक्ति:

  • सूर्य – पिता
  • चंद्रमा – माता
  • मंगल/बुध – भाई/बहन
  • शुक्र – पत्नी
  • गुरु – बुजुर्ग
  • शनि – चाचा

उदाहरण:
यदि आठवें भाव में शुक्र बैठा हो और दशा शुक्र की हो – पत्नी के साथ दुर्घटना या ऑपरेशन की संभावना बनती है।

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3. D30 के बारहवें भाव में ग्रह:

यहाँ बैठा ग्रह उस करकतत्व से हानि, अस्पताल, मानसिक क्लेश देता है।

उदाहरण:
12वें भाव में गुरु हो – तो गुरुजन से दूरी या बुढ़ापे में तीव्र मानसिक क्लेश हो सकता है।


D30 चार्ट के आधार पर दुर्घटना/विपत्ति कैसे पहचानें?

(A) दशा-अंतर्दशा से पुष्टि करें

जिस ग्रह की दशा हो, वह D30 के 6/8/12 भाव में बैठा हो या उनके स्वामी हो – तो कष्ट निश्चित।

(B) गोचर की भूमिका

जब गोचर में शनि, राहु या मंगल उस भाव पर दृष्टि डालें या वहां से गुजरें – तो घटना होती है।


सारांश (Quick Summary):छठे भाव में ग्रह हो तो वह रोग या कोर्ट केस दे सकता है।


आठवें भाव में ग्रह हो तो वह अचानक दुर्घटना, ऑपरेशन या किसी रिश्तेदार को नुकसान दे सकता है।

बारहवें भाव में ग्रह हो तो वह अस्पताल में भर्ती या भारी खर्च का कारण बन सकता है।

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Conclusion (निष्कर्ष):

D30 चार्ट केवल भविष्यवाणी का माध्यम नहीं, बल्कि आगामी संकटों को टालने का मार्गदर्शन है। यदि सही समय पर इसका अध्ययन किया जाए, तो बहुत से बड़े नुकसान टाले जा सकते हैं। यही वजह है कि अनुभवी ज्योतिषी D30 का उपयोग करते हैं।



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