कष्ट, PROBLEM कहां से आ रही है , कौनसा ग्रह देगा जान लो

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🌑 कष्टकारक ग्रह से जीवन में आता है संकट! जानिए यदि यह अन्य कारक ग्रहों के साथ बैठ जाए तो क्या नुकसान हो सकता है | Remedies Included

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🪐 परिचय: ज्ञाति/कष्ट कारक ग्रह क्या है?

जन्मकुंडली में जब सभी ग्रहों को उनकी डिग्री के ascending क्रम (lowest to highest) में क्रमबद्ध करते हैं, तो दूसरे स्थान पर आने वाला ग्रह ज्ञाति या कष्टकारक ग्रह (Gnati Karak) कहलाता है।
👉 वहीं descending order (उच्च डिग्री से नीचे की ओर) में देखें तो यह छठे स्थान पर आता है।

यह ग्रह जीवन में बार-बार संकट, बीमारियाँ, मानसिक तनाव, दुर्घटनाएं और विवाद पैदा करता है — खासकर जब यह अन्य कारक ग्रहों के साथ युति करता है।


⚠️ जब ज्ञाति/कष्ट कारक ग्रह अन्य कारक ग्रहों के साथ युति करे, तब क्या होता है?

1. 🌟 आत्मकारक के साथ ग्रह की युति

प्रभाव: व्यक्ति अपनी ही गलतियों के कारण भाग्य और स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है।

कब कष्ट देता है: इस ग्रह की दशा/अंतर्दशा में या जिस राशि में यह बैठा है, उस राशि की दशा में।


2. 🧠 अमात्यकारक के साथ ग्रह की युति

प्रभाव: करियर में उतार-चढ़ाव, धन और परिवार में समस्याएं।


3. 👬 भ्रातृकारक के साथ युति

प्रभाव: भाई-बहनों से झगड़ा, मनमुटाव, कानूनी विवाद या रिश्तों में दूरी।


4. 🏠 मातृकारक के साथ युति

प्रभाव: माता से संबंधों में समस्या, प्रॉपर्टी विवाद, घर और वाहन सुख में कमी।


5. 👶 पुत्रकारक के साथ युति

प्रभाव: संतान प्राप्ति में बाधा, गर्भपात की संभावना, प्रेम जीवन में तनाव।


6. 💼 ज्ञातिकरक (6ठा कारक)

प्रभाव: रोग, एक्सीडेंट, शत्रु और आर्थिक हानि।


7. 💍 दारकारक के साथ युति

प्रभाव: पत्नी/पति से झगड़े, वैवाहिक जीवन में तनाव, स्त्री संबंधों से हानि।
🔗 युति किससे 🌐 जीवन क्षेत्र 🔥 प्रभाव
आत्मकारक स्वास्थ्य, आत्मबल, छवि खुद की personality, ego, health या over-confidence के कारण भारी नुकसान, bad decisions
अमात्य कारक करियर, निर्णय करियर में अस्थिरता, धन हानि, निर्णय में भ्रम
भ्रातृ कारक भाई-बहन भाई-बहनों से मतभेद, घरेलू कलह
मातृ कारक माता, घर, सुख माँ से दूरी, घरेलू कलह, संपत्ति विवाद
पुत्र कारक संतान, प्रेम संतान संबंधी कष्ट, miscarriage, प्रेम में धोखा
ज्ञाति कारक रोग, शत्रु अचानक बीमारियाँ, कोर्ट-कचहरी, कर्ज
दारा कारक जीवनसाथी, स्त्री वैवाहिक जीवन में कलह, स्त्री वर्ग से धोखा

🗓️ कब यह ग्रह सबसे अधिक कष्टकारी हो जाता है?

  • इस ग्रह की दशा/अंतर्दशा के दौरान
  • जब जिस राशि में यह बैठा है, उस राशि या त्रिकोण की राशियों की दशा चल रही हो
  • जब यह ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो
  • यदि यह ग्रह शत्रु राशि में बैठा हो या पाप ग्रहों से दृष्ट हो

🛑 इससे कैसे बचें? — व्यवहारिक उपाय (Avoid This First)

  • इस ग्रह से संबंधित व्यवसाय या व्यवहार को न अपनाएं।
    उदाहरन के लिए:
    यदि कष्टकारक ग्रह मंगल है तो ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामकता, लडाई-झगड़े वाले पेशे या फौजी प्रवृत्ति से बचें।
    अगर शुक्र है, तो स्त्री विषयों में लिप्तता या विलासिता से दूरी रखें।

🪄 तत्व आधारित सरल उपाय (Element-Based Remedies)

🌟 तत्व ♈️ राशियाँ 🧘 उपाय 🎁 दान
अग्नि मेष, सिंह, धनु हवन, मंगल/सूर्य मंत्र गुड़, गेहूं, तांबा
जल कर्क, वृश्चिक, मीन चंद्र/शुक्र पूजा, जल अर्घ्य दूध, चावल, सफेद वस्त्र
वायु मिथुन, तुला, कुम्भ प्राणायाम, राहु/शनि उपाय सरसों का तेल, नीला वस्त्र
पृथ्वी वृषभ, कन्या, मकर गणेश पूजन, बुध/शनि जप मूंग, तिल, हरी सब्ज़ियाँ

🔔 Special Note:



🛠 उपाय (Remedies) — तत्व और राशि के अनुसार

ग्रह जिस तत्व (Agni, Jal, Vayu, Prithvi) की राशि में बैठा हो, उस तत्व के अनुसार उपाय करें:

🔥 अग्नि तत्व (मेष, सिंह, धनु)

उपाय: हवन, इस के आइटम का हवन करें वैदिक मंत्र के सथ
🌊 जल तत्व (कर्क, वृश्चिक, मीन) 

उपाय: इस ग्रह के आइटम को जल प्रवाहित करें बैठे हुए जल में

🌬 वायु तत्व (मिथुन, तुला, कुम्भ)

उपाय: वायु देव, इस ग्रह के वैदिक मंत्र का जाप करें
🌍 पृथ्वी तत्व (वृषभ, कन्या, मकर)

उपाय: जो गृह कष्ट कारक है उसके आइटम को जमीन के अंदर दबाना पड़ेगा तब जाकर वह शांत होगा
 सूर्य/मंगल/गुरु मंत्र जाप

दान: गुड़, तांबा, गेहूं

संयम: क्रोध से बचें


🌊 जल तत्व (कर्क, वृश्चिक, मीन)

उपाय: चंद्र/शुक्र/केतु मंत्र, जल में दीपदान

दान: दूध, चावल, सफेद वस्त्र

संयम: भावनात्मक असंतुलन से बचें


🌬 वायु तत्व (मिथुन, तुला, कुम्भ)

उपाय: वायु देव/राहु/शनि मंत्र, प्राणायाम

दान: सरसों का तेल, नीला वस्त्र, लोहे का दान

संयम: अति-चिंता और मन की अस्थिरता से बचें


🌍 पृथ्वी तत्व (वृषभ, कन्या, मकर)

उपाय: पृथ्वी पूजन, गणेश/बुद्ध/शनि मंत्र

दान: हरा मूंगा, तिल, मूंग

संयम: हठधर्मी स्वभाव से बचें



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📌 विशेष सुझाव

जिस ग्रह का प्रभाव भारी पड़ रहा हो, उससे संबंधित व्यवसाय, रंग, दिशा या वस्त्रों से कुछ समय दूरी बना लेना लाभकारी होता है।

हमेशा ध्यान रखें — कष्टकारक ग्रह को adopt न करें, उसे observe और balance करें।

कुंडली में ग्रहों की डिग्री भी बहुत मायने रखती है।

Highest degree वाला ग्रह आत्मकारक बनता है।

उसके बाद descending order में 6th सबसे शक्तिशाली ग्रह ज्ञातिकरक होता है।


ज्ञाति/कष्टकारक ग्रह यदि आपकी कुंडली में उच्च डिग्री या पाप दृष्ट से युक्त है तो इस ग्रह की दशा में मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और पारिवारिक हर स्तर पर परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसीलिए इसके उपाय समय रहते अपनाना अति आवश्यक है।


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