मेरा कन्या लग्न है मैं क्यों Astrologer बना मैं नीयती का विधान है उस बंदे के आठवें घर में 1008 वाट का वल्लभ लगा दे तो एक अंधेरी घर या कुवे में भी रोशनी का अंबार लग जाएगा यानी आठवा घर जो हकीकत में मृत्यु ओर परिवर्तन का है अंधेरा का कूआं है
इसमें सूर्य आने से एकदम से प्रकाश फैलता है यह बंदा छुपा रुस्तम निकलता है इसके पास ओकलट ऊपरी विद्या ज्योतिष और भगवान की भी मेहरबानी होती है स्पेशल एनर्जी का मास्टर बनता है
कन्या लग्न सूर्य आठ में हो तो
आपकी कुण्डली में सूर्य मेष राशि में स्थित है, जो की सूर्य की उच्च राशि है। सूर्य बारहवें, घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में आठवें घर में स्थित है। सूर्य की दृष्टि दूसरे घर पर है।
यहां स्थित सूर्य आपको कुछ अच्छे परिणाम तो देगा लेकिन कई प्रकार की परेशानियां भी दे सकता है। यहां स्थित सूर्य आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगा। धन कमाने के साथ-साथ आप धन की बचत भी कर पाएंगे। यह स्थिति कभी-कभी जीवन साथी के माध्यम से धनागमन की सूचक है। आप अपने जीवन काल में कुछ ऐसा काम जरूर करेंगे जो आपको नायकों की श्रेणी में खडा करेगा। आप एक सुखी जीवन व्यतीत करेंगे।
अधिकांश मामलों में सूर्य की यह स्थिति अच्छे परिणाम नहीं देती अत: आप पित्त के प्रकुपित होने से पैदा होने वाले रोगों से परेशान हो सकते हैं। आपकों आंखों से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं। आप में धर्य की कमी औत क्रोध की अधिकता हो सकती है। जब भी आप पर काम का बोझ बढेगा आपका क्रोध भी बढेगा। आपको किसी भी मुद्दे को लेकर अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए अन्यथा आपको हृदय रोग परेशान कर सकता है।
यदि आप में आलस्य है तो उसे शीघ्र त्यान दें। इससे आप अधिक से अधिक धन संचय कर पाएंगे। नशा करने से आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। जहां तक हो सके पिता से संबंध मधुर बनाए रखें। अपने जीवन साथी के अलावा किसी और से गुप्त संबंध न रखें। दक्षिण दिशा के ओर मुंह वाले मकान में निवास नहीं करना चाहिए।
कन्या राशि में लग्न का चंद्रमा क्या देता है
आपकी कुण्डली में चंद्र कन्या राशि में स्थित है, जो की चंद्र की मित्र राशि है। चंद्र ग्यारहवें, घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में पहले घर में स्थित है। चंद्र की दृष्टि सातवें घर पर है। गुरु , शुक्र , केतु की पूर्ण दृष्टि चंद्र पर है।
प्रथम भाव में स्थित चंद्रमा आपको साहसी और देखने में आकर्षक व्यक्तित्व देता है। आप अधिकांशत: प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति हैं। आप सामाजिक होने के साथ-साथ यात्राओं के शौकीन व्यक्ति हैं। आप अपने जीवन काल में कई बार विदेश यात्रा कर सकते हैं। आपकी रुचि आध्यात्म में भी हो सकती है और आप इस क्षेत्र में कोई बडी उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं।
लग्न में चंद्रमा होने के कारण आप बहुत भावुक और संवेदनशील हो सकते हैं। आपकी कल्पनाशक्ति बहुत प्रबल होगी। सृजनात्मक और रचनात्मक कार्यों को करने में आपकी अच्छी खासी रुचि होगी और आप इन क्षेत्रों में कुछ विशेषकर सकते हैं। आपको परिवर्तन बहुत पसंद होगा और आप अपने जीवन साथी से बहुत अधिक लगाव रखेंगे। आपको घूमना फिरना बहुत पसंद होगा।
आप जनता के चहेते और लोकप्रिय व्यक्ति होने के साथ-साथ अपने वसूलों के बहुत पक्के हैं। चंद्रमा की यह स्थिति आपके प्रेम प्रसंगों के लिए अनुकूलता लाने वाली सिद्ध होगी। आप अधिकांश मामलों में बडे व्यवहारिक और तार्किक हो सकते हैं। लेकिन यह स्थिति जीवन के प्रारंभिक वर्षों में शारीरिक दुर्बलता दे सकती है। साथ ही धन संचय में कठिनाई भी होती है।
कन्या लग्न हो, मंगल 11th House विचार
आपकी कुण्डली में मंगल कर्क राशि में स्थित है, जो की मंगल की नीच राशि है। मंगल आठवें, तीसरे घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में ग्यारहवें घर में स्थित है। मंगल की दृष्टि दूसरे, पांचवें, छठें घर पर है। गुरु , शनि , केतु की पूर्ण दृष्टि मंगल पर है।
ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको धैर्यवान बनाता है। यहां स्थित मंगल आपको खूब घूमने फिरने का मौका भी देता है। आप एक साहसी व्यक्ति हैं और अपने जीवन काल में खूब लाभ कमाएंगे। लेकिन आपमें क्रोध की अधिकता हो सकती है जिस पर नियंत्रण पाना जरूरी होगा। साथ ही आप कुछ हद तक कटुभाषी भी हो सकते हैं। अत: वाणी में मिठास और नियंत्रण भी जरूरी होगा।
मित्रों के सहयोग से आप अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा कर पाएंगे लेकिन मित्रों से आपका मतभेद और विरोध भी हो सकता है। हांलाकि आपके मित्रों की संख्या कम होगी लेकिन जितने भी होंगे आपके लिए सहयोगी रहेंगे। आप गुरुजनों का बहुत सम्मान करते हैं। आपके स्वभाव में राजसी गुण भी पाए जाएंगे। अर्थात आप अपने आपको किसी राजा की तरह ही समझेंगे।
पंचम भाव पर दृष्टि होने के कारण ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको संतान से संबंधित परेशानियां दे सकता है जैसे कि संतान की पैदाइस में विलम्ब या गर्भपात जसी स्थितियां भी आ सकती हैं। आपकी वाणी काफी कठोरता लिए हुए हो सकती है और आपके संस्कारों ने अनुमति दी तो आपकी रुचि मांसाहार में भी हो सकती है। आपके बडे भाई बहन चिडचिडे लेकिन ऊर्जावान होंगे।
कन्या लग्न में बुध 9th HOUSE विचार
आपकी कुण्डली में बुध वृषभ राशि में स्थित है, जो की बुध की मित्र राशि है। बुध दसवें, पहले घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में नौवें घर में स्थित है। बुध की दृष्टि तीसरे घर पर है। केतु की पूर्ण दृष्टि बुध पर है।
नवम भाव का बुध शुभफल देने वाला कहा गया है। यहां का बुध आपको धर्मात्मा और भाग्यशाली बनाता है। अत: आप सदाचारी, धर्म को जानने वाले और बुद्धिमान व्यक्ति हैं। आपको सज्जनों की संगति मिलती रहेगी। आप धर्म के विपरीत जाकर कोई काम नहीं करेंगे। आप एक जिज्ञासु व्यक्ति हैं और दान पुण्य करने में भी आपकी अच्छी रुचि होगी।
आप विभिन्न प्रकार के सुखों का उपभोग करेंगे। तीर्थ यात्रा और धार्मिक कार्यों जैसे यज्ञ आदि में आपकी अच्छी रुचि होगी। आप एक पराक्रमी व्यक्ति हैं और हमेशा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। आप हमेशा किसी न किसी शोध में या नई चीजों की खोज में लगे रहने वाले व्यक्ति हैं। आप समाज में या अपने परिवार में राजा के समान सम्मानित व्यक्ति होंगे।
आप अपने कुल को अपने ज्ञान, धन और यश से उज्ज्वल और पवित्र करने वाले हैं। आप उपकार और विद्या के कारण लोगों के आदरणीय बनेंगे। लेकिन आपको अपने ज्ञान और बुद्धि पर घमण्ड करने से बचना होगा। आपकी उम्र के उन्तीसवें वर्ष में आपकी माता को कष्ट हो सकता है। आप कवि, वक्ता, संगीतज्ञ, संपादक, लेखक या ज्योतिषी हो सकते हैं।
कन्या लग्न में यदि गुरु सातवें घर में हो
आपकी कुण्डली में गुरु मीन राशि में स्थित है, जो की गुरु की स्व-राशि है। गुरु चौथे, सातवें घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में सातवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि ग्यारहवें, पहले, तीसरे घर पर है। चंद्र , शनि , राहु की पूर्ण दृष्टि गुरु पर है।
आप शारीरिक रूप से सुंदर और और आकर्षक व्यक्तित्त्व के मालिक हैं। लोग आपसे मिलकर प्रसन्न होते हैं अर्थात आपके आकर्षण के कारण लोग आपसे मिलकर आपके वशीभूत हो जाते हैं। आपकी वाणी आकर्षक और प्रभावशाली होगी। आप कुशाग्र बुद्धि और विद्या सम्पन्न व्यक्ति हैं। आप ज्योतिष काव्य साहित्य, कला प्रेमी और शास्त्र परिशीलन में आसक्त रहने वाले व्यक्ति हैं।
आप प्रतापी यशस्वी और प्रसिद्ध होंगे। लेकिन यहां स्थित बृहस्पति कभी-कभी विपरीत लिंगी के प्रति अधिक आशक्ति देता है परंतु उनके प्रति लम्बे समय तक समर्पित रहना आपको पसंद नहीं होगा। फिर भी आपका जीवन साथी कुलीन और धनवान होना चाहिए। विवाह के कारण आपका भाग्योदय होगा और आपको धन, सुख, श्रेष्ठ पद और मान्यता मिलेगी। आपका जीवन साथी गुणों से युक्त होगा।
सप्तम भाव का बृहस्पति कामुकता अधिक देता है। यहां स्थित कभी-कभी अभिमानी भी बनाता है। अत: इन पर नियंत्रण भी आवश्यक होगा। आप शीघ्र ही बडी उन्न्ति और बडा पद प्राप्त करेंगे। आपको सरकारी कामों, कचहरी के काम, मंत्रणा देने का काम, सलाहकार का काम, चित्रकला आदि के द्वारा लाभ मिल सकता है। आप न्याय के काम से भी धनार्जन कर सकते हैं।
कन्या लग्न वाले का शुक्र सातवें भाव 7th House विचार
आपकी कुण्डली में शुक्र मीन राशि में स्थित है, जो की शुक्र की उच्च राशि है। शुक्र नौवें, दूसरे घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में सातवें घर में स्थित है। शुक्र की दृष्टि पहले घर पर है। चंद्र , शनि , राहु की पूर्ण दृष्टि शुक्र पर है।
यहां स्थित शुक्र आपको मिला जुला फल देने वाला है। आप उदार स्वभाव के लोकप्रिय व्यक्ति हैं लेकिन आप कुछ हद तक चिंतित रह सकते। आप साधुओं से प्रेम करने वाले भाग्यवान व्यक्ति हैं। हांलाकि आप चंचल, विलासी और संगीत को पसंद करने वाले हैं। थोडे से प्रयास से भी आपको आराम देने वाली चीजों की प्राप्ति हो जाएगी। आपकी व्यवहार कुशलता और चातुर्य से सभी सम्मोहित होंगे।
देखने में आप बडे ही आकर्षक व्यक्तित्त्व के स्वामी होंगे। आप एक श्रेष्ठ कलाकार हो सकते हैं। गायन और अभिनय में आपकी रुचि होनी चाहिए। कामक्रीडा और जल क्रीडा में भी आपको चातुर्य हाशिल होगा। कभी-कभी शुक्र की यहां स्थिति विवाह जल्दी करवा देती है। हांलाकि यह स्थिति कभी-कभी दो विवाह की स्थितियां भी निर्मित करती है लेकिन संस्कार के अनुसार इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
विवाह के पश्चात भाग्योदय होता है। स्त्रियों के माध्यम से सुख मिलता है। लेकिन अधिक विलासिता और व्यभिचार से बचाव जरूरी होगा। आपको विदेश यात्राओं अथवा दूर की यात्राओं और वहां निवास करने के मौके खूब मिलेंगे। राजकुल या सरकार के द्वारा आप सम्मानित किए जाएंगे। लेकिन कमर के नीचे वातजन्य पीडा हो सकती है।
कन्या लग्न हो और शनि 5th House में बैठा हो आप पक्के ज्योतिष शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करोगे।
आपकी कुण्डली में शनि मकर राशि में स्थित है, जो की शनि की स्व-राशि है। शनि पांचवें, छठें घर का स्वामी होकर आपकी कुण्डली में पांचवें घर में स्थित है। शनि की दृष्टि सातवें, ग्यारहवें, दूसरे घर पर है। मंगल , राहु की पूर्ण दृष्टि शनि पर है।
पंचम भाव में शनि के स्थित होने के कारण आपको इसके मिले जुले फल मिलेंगे। आप बुद्धिमान और विद्वान होंगे। आप परिश्रमी और भ्रमणशील भी हो सकते हैं। यहां स्थित शनि आपको प्रसन्न और सुखी बनाता है साथ ही यह आपको दीर्घायु भी प्रदान करता है। आप शत्रुओं पर विजय पाने वाले और धर्मात्मा व्यक्ति हैं लेकिन आप स्वभाव से कुछ हद तक चंचल भी हो सकते हैं।
कहा गया है कि कभी-कभी गोद लिए जाने के बाद औरस पुत्र की प्राप्ति होती है। लेकिन आज के परिवेश में संतान की पैदाइस में कुछ विलम्ब भी हो सकता है। कभी-कभी एक संतान के बाद दूसरी संतान पांचवें, सातवें, नौवें और बारहवें वर्ष में हो सकती है। आप थोडे से मनमौजी हो सकते हैं और अपने काम से काम रखते हैं। शनि की यह स्थिति कभी-कभी शिक्षा में व्यवधान भी उत्पन्न करती है।
अशुभफलों के रूप में यहां स्थित शनि आपको आलसी और शरीर को निर्बल बना सकता है। आपके व्यवहार में कुछ हद तक कुटिलता आ सकती है। आप देवी-देवताओं और धर्म से बिमुख हो सकते हैं। आपकी प्रसिद्धि धीरे-धीरे कम होने लगती है और आपके धन सम्पत्ति पर भी शनि की इस स्थिति का दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।
कन्या लग्न हो राहु 11वे घर कर्क में हो तो आपका भविष्य।
आपकी कुण्डली में राहु कर्क राशि में स्थित है। राहु ग्यारहवें घर में स्थित है। राहु की दृष्टि तीसरे, पांचवें, सातवें घर पर है। गुरु , शनि , केतु की पूर्ण दृष्टि राहु पर है।
यहां स्थित राहू आपके जीवन के अरिष्टों को कम करता है। आप शारीरिक रूप से पुष्ट होंगे और दीर्घायु होंगे। आप परिश्रमी, विलासी और कवि हृदय भी हो सकते हैं। आप धनवान और विभिन्न भोगों को भोगने वाले होंगे। यदि आप चाहें तो अपनी इन्द्रियों को वश में कर सकते हैं। आप देखने में आकर्षक मितभाषी और शास्त्रों के ज्ञाता होंगे।
आप विद्वान, स्वभाव से विनोदी और चंचल होंगे। आप जिस समाज में रहेंगे, उस समाज के अग्रणी होंगे। आप बडे स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। आप एक यशस्वी व्यक्ति होंगे। आपकी मित्रता चतुर व्यक्तियों के साथ होगी। आप अपने जीवनकाल में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त करेंगे। आपको धन धान्य की समृद्धि प्राप्त होगी।
आपके धन लाभ के कुछ तरीके अनैतिक हो सकते हैं। आप विदेशियों के माध्यम से भी धनार्जन कर सकते हैं। आपको विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख मिल सकता है। लेकिन आप कुछ हद तक अभिमानी हो सकते हैं। कुछ बेकार के विवाद में पडकर आप अपनी ऊर्जा का व्यय करेंगे। आपको चाहिए कि धोखा और ठगी के माध्यम से धन न कमाएं अन्यथा संतान से सम्बंधित परेशानी रह सकती है।
कन्या लग्न केतु पांचवे घर हो
आपकी कुण्डली में केतु मकर राशि में स्थित है। केतु पांचवें घर में स्थित है। केतु की दृष्टि नौवें, ग्यारहवें, पहले घर पर है। मंगल , राहु की पूर्ण दृष्टि केतु पर है।
केतू के पंचम में स्थित होने के कारण आप बलवान होंगे। यहां स्थित केतू आपके संतानो की संख्या को कम करता है अत: आपके पुत्र कम और कन्याएं अधिक होंगी। आपकी संतानों को आपके बांधवों से अधिक लगाव होगा। गाएं आदि पशुओं का लाभ होगा अर्थात आपको पशु धन की प्राप्ति पर्याप्त मात्रा में होगी। आपको तीर्थयात्रा करना या विदेश में रहना अधिक पसंद होगा।
आप अधिक पराक्रमी होने के बावजूद भी दूसरों की नौकरी करना पसंद करेंगे। हांलाकि आपके पास भी नौकर चाकर होंगे। कुछ छल-कपट करके भी आप लाभ कमा सकते हैं। आपके भाई बंधु सुखी रहते हैं। आपके द्वारा दिए गए उपदेश लोगों पर खूब प्रभाव डालते हैं। आप विदेश जाने के इच्छुक रहेंगे। लेकिन यहां स्थित केतू कई प्रकार के अशुभ फल भी देता है। अत: आपमें धर्य की कमी देखने को मिल सकती है।
आपके दिलो-दिमाग में नकारात्मक विचारों का बाहुल्य हो सकता है। आपको अपने ही गलत निर्णयों के लिए पश्चाताप करना पड सकता है। आपको अपने ही भ्रमात्मक ज्ञान और गलती के कारण शारीरिक कष्ट मिल सकता है। सगे भाइयों से विवाद हो सकता है। तंत्र-मंत्र के माध्यम से कष्ट मिल सकता है। पुत्र सुख में कमी रह सकती है। उदर भाग में चोट लगने के कारण या अन्य कारणों से कष्ट मिल सकता है।
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