*संजोग पुराने जंन्मो से आते हैं त्रेतायुग मे भगवान राम से उनकी पत्नी सिता 11साल तक बनवास में दुर रही , उनके 11साल को पुरा करने के द्वापर युग में Exactly वादा पुरा किया था कृष्ण रूप में*। 👏ये तो प्यार👩❤️👨 व समान का रिश्ता था जो आज भी लोगों को Guide कर रहा है करता भी रहेगा👏। ✍🏼✍🏼 *मेरा विश्वास ये भी है की बाकी बचे ओर भी लेन देन पिछले जन्मों के इस जन्म में संजोग में बंध कर जरूर से जरूर पुरा करता है। ये विधी का विधान है*
✍🏼 *मैं कहता हूं रिसता उन्हीं दो आत्माओं में बनता है चाहे वो पुरे जंन्म साथ रहै, या दुर रहे , या दुर रहकर भी उस बचे हुये लेन-देन को पुरा करना पड़ता है जो पिछले जन्म से बाकी है 🐣😃 आप खुशी से करें , या नाराजगी से पुरा तो जरूर करना पड़ता है।
👏✍🏼 आप पति-पत्नी का ही क्यों संजोग कयों मानते हो???? आप अपने दुसरे रिसतों को भी देख लो ओर आपके जो भी मां बाप,भाई बहन, चाचा ताऊ, मामा फूफा सभी या तो लेने आते हैं या देने कुछ आते हैं* जैसे जैसे आपका देना लेना पुरा होता चला जाता है रिसते बदलाव के बन जाते हैैं अब नया कर्म जन्म लेने लग जाता है जो प्रारब्ध का रूप
लेने लग जाता है जो अगले जन्मों में carry Forward हो जाती है
✍🏼👍 *ये बातें हमें पहले अहसास नहीं होती है 50 कि उम्र बिता जाने के बाद इंसान को जब 80% लेन देन का भुगतान कर लेता तब जाकर उसकी आंखें खुलती हैं की 👉👉👉फलां रिसते में वो सकक्ष लेकर चला गया या देकर चला गया।*।
🙌🏽🤏 हमारे जन्म कुंडली के गृहों कि दशा महादशा अंतर्दशा के अनुसार ये हर रिश्ते को भोगने का समय रहता है एक प्ररटीकुलर टाईम गृह कि चाल दशा अनुसार चाहे महादशा का जब भी का समय आता है उसी समय के अंतराल में संजोग बनेगा , घटित होगा, और होकर रहेगा ।
इसमें में रोल में सात गृह करते हैं।
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