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अष्टम भाव में गुरु:
- नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह होते हुए भी यह तभी अच्छे फल देगा जब व्यक्ति इसके अनुसार आचरण करेगा।
- दान-पुण्य, दूसरों की भलाई और सात्विक जीवनशैली अपनाने से यह ग्रह अत्यंत शुभ फल देता है।
- खानपान में शुद्धता और संयम आवश्यक है, अन्यथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
- व्यक्ति को गुप्त विद्याओं, ज्योतिष, साधना और रहस्यमय विषयों में रुचि हो सकती है।
- अगर यह प्रतिकूल हो जाए तो मृत्यु तुल्य कष्ट या जीवन में गंभीर संकट ला सकता है, लेकिन अंततः दैवीय सहायता मिलती है।
- उपाय: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से यह ग्रह अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है।
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अष्टम भाव में बुध:
- यह ग्रह जिस राशि में बैठता है, उसके गुण ग्रहण कर लेता है और अन्य ग्रहों के प्रभाव में आ जाता है।
- अगर यह शुभ ग्रहों से प्रभावित हो तो अत्यधिक बुद्धिमान, विश्लेषणात्मक और वाणी में प्रभावशाली बनाता है।
- व्यापारिक समझ, प्रबंधन क्षमता और तार्किक सोच देता है।
- यदि अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो तो व्यक्ति आत्मविश्वास की कमी, मानसिक तनाव और संचार कौशल में बाधाओं का सामना कर सकता है।
- बच्चों में अगर बुध कमजोर हो तो वे दब्बू बन सकते हैं, जबकि मजबूत हो तो बचपन से ही चतुर और कुशाग्र बुद्धि वाले बन सकते हैं।
निष्कर्ष:
- अष्टम भाव रहस्यमय और गूढ़ ज्ञान से जुड़ा भाव है, इसलिए यहाँ बैठे ग्रहों को समझना आवश्यक है।
- गुरु और बुध दोनों ही यहाँ विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, और इनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है।
- सत्कर्म, अध्ययन, दान-पुण्य और आध्यात्मिक जीवनशैली से इन ग्रहों को अनुकूल किया जा सकता है।
यदि आपकी कुंडली में अष्टम भाव में गुरु या बुध हैं और आप इसके प्रभावों को गहराई से समझना चाहते हैं, तो कुछ और बारीक विश्लेषण की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि डिग्री, अन्य ग्रहों का प्रभाव, और दशा-अंतरदशा।