अष्टम भाव में चंद्रमा, मंगल और राहु के प्रभावों पर चर्चा की। अब हम अन्य ग्रहों (शनि, केतु, गुरु, शुक्र, सूर्य, बुध) के प्रभाव भी विस्तार से देख लेते हैं।
अष्टम भाव में ग्रहों के प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण
(यह भाव मृत्यु, गुप्त ज्ञान, रिसर्च, गूढ़ विद्या, विरासत, बीमा, अचानक घटनाओं, दुर्घटनाओं, जीवन में बड़े बदलावों, और मानसिक स्थिरता से जुड़ा होता है।)
1. अष्टम भाव में शनि
(शनि = कर्म, स्थिरता, देरी, अनुशासन, तपस्या)
- शुभ स्थिति में → व्यक्ति को गंभीर, अनुशासित और स्थिर बनाता है। लंबी उम्र देता है और व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में भी मजबूती से खड़ा रहने की क्षमता प्रदान करता है। रिसर्च, माइनिंग, धातु उद्योग, मशीनरी, ज्योतिष, और पुरानी चीजों से जुड़े व्यवसायों में सफलता मिलती है।
- अशुभ स्थिति में → जीवन में देरी और बाधाएँ देता है। व्यक्ति को मानसिक तनाव और डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है। शादी में देरी, अचानक दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। अस्थमा, जोड़ो का दर्द या पुरानी बीमारियाँ भी हो सकती हैं।
उपाय: भगवान हनुमान जी की उपासना करें, शनि से जुड़े दान करें, और सादा जीवन जीने की कोशिश करें।
2. अष्टम भाव में केतु
(केतु = मोक्ष, रहस्य, अतीन्द्रिय शक्ति, सन्यास, भ्रम)
- शुभ स्थिति में → व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्तियाँ, भविष्यवाणी की क्षमता, और गूढ़ विद्या में महारत देता है। ऐसा व्यक्ति ज्योतिष, तंत्र, योग और ध्यान में गहरी रुचि रखता है।
- अशुभ स्थिति में → व्यक्ति को भ्रमित कर सकता है। मानसिक तनाव, असमंजस और अचानक दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। व्यक्ति को अज्ञात भय, भूत-प्रेत जैसी चीजों का डर हो सकता है।
उपाय: भगवान गणेश जी की पूजा करें और नारियल जल में प्रवाहित करें।
3. अष्टम भाव में गुरु (बृहस्पति)
(गुरु = ज्ञान, आस्था, शुभता, दया, मार्गदर्शन)
- शुभ स्थिति में → यह एक बेहतरीन योग बनाता है, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक और गुप्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। ऐसे लोग अच्छे रिसर्चर, प्रोफेसर, धार्मिक गुरु, और ज्योतिषी बन सकते हैं। जीवन में अचानक धन प्राप्ति और शुभ घटनाएँ होती हैं।
- अशुभ स्थिति में → व्यक्ति को धोखे और झूठे गुरुओं से सावधान रहना चाहिए। गलत ज्ञान, आध्यात्मिक अहंकार और गुरु के प्रति अनादर के कारण हानि हो सकती है।
उपाय: बृहस्पति मंत्र का जाप करें, पीली वस्तुओं का दान करें, और माता-पिता की सेवा करें।
4. अष्टम भाव में शुक्र
(शुक्र = भोग, ऐश्वर्य, प्रेम, कला, सौंदर्य, वैवाहिक सुख)
- शुभ स्थिति में → ऐसा व्यक्ति सुंदर, आकर्षक, और कला प्रेमी होता है। रहस्यमयी विद्या में रुचि रखता है और ऐश्वर्य प्राप्त करने की अच्छी क्षमता होती है। अनैतिक संबंधों से भी धन कमा सकता है।
- अशुभ स्थिति में → व्यक्ति के विवाह में बाधा आ सकती है, या जीवनसाथी से संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। असंयमित जीवनशैली, अनैतिक संबंध, और यौन रोग जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
उपाय: शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ और सात्विक जीवनशैली अपनाएँ।
5. अष्टम भाव में सूर्य
(सूर्य = आत्मा, आत्म-सम्मान, सरकारी कार्य, अहंकार)
- शुभ स्थिति में → व्यक्ति को सरकारी लाभ, गुप्त शक्तियाँ और सम्मान प्राप्त होता है। ऐसा व्यक्ति गुप्तचर एजेंसियों, रिसर्च, और खुफिया कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
- अशुभ स्थिति में → पिता से तनावपूर्ण संबंध, आत्म-सम्मान की कमी, सरकारी मामलों में परेशानी और अचानक अपमान की स्थिति बन सकती है।
उपाय: सूर्य को जल दें और तांबे के बर्तन में पानी पिएँ।
6. अष्टम भाव में बुध
(बुध = बुद्धि, संवाद, गणित, तर्क शक्ति, व्यापार)
- शुभ स्थिति में → व्यक्ति को संवाद कौशल, गणितीय क्षमता, और लेखन की प्रतिभा देता है। रिसर्च, साइंस, ज्योतिष, और गुप्त दस्तावेजों के क्षेत्र में सफलता दिलाता है।
- अशुभ स्थिति में → व्यक्ति को मानसिक तनाव, झूठ बोलने की आदत, और तर्क शक्ति में कमी हो सकती है। कई बार व्यक्ति को बिजनेस में अचानक धोखा मिल सकता है।
उपाय: हरे कपड़े पहनें और तुलसी का सेवन करें।
संक्षेप में (अष्टम भाव में ग्रहों का प्रभाव)
निष्कर्ष
- अष्टम भाव में ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अचानक बदलाव, मानसिक स्थिति, और गुप्त ज्ञान से जुड़ा होता है।
- यदि ग्रह शुभ स्थिति में हैं, तो व्यक्ति को शक्ति, धन, और आध्यात्मिक सफलता मिलती है।
- यदि ग्रह अशुभ स्थिति में हैं, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, दुर्घटनाएँ, और अचानक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- सभी ग्रहों की दशा और दृष्टि को देखना आवश्यक है, तभी सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
अगर आपके अष्टम भाव में कोई विशेष ग्रह है और आप उसके प्रभाव को गहराई से समझना चाहते हैं, तो अपनी कुंडली के बाकी ग्रहों की स्थिति भी देखनी होगी।