प्यार रिलेशन पति पत्नी और वो, #परिवार संस्कार #प्यार #ज्योतिष

IIIEYE ASTRO Hindi/तिसरी आंख एस्ट्रो BLOG
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*कहते हैं रिश्ता वही कायम रहता है, जिसकी शुरुआत दिल से हो, जरूरत से नहीं*🍒🥳👁️👣 चलये इसको थोड़ी सी गहराई से देखते हैं  मैं ओर किसका उदाहरण लुं अपना ही लेते हैं

आप भी अपने ही जीवन से  ही ले लो क्योंकि आपबीती से सही निचोड़ निकल कर आता है। उदाहरण
✍🏼👩‍🦲👩🏼‍🦳 परिवार में किसी के बच्चे का जब जन्म होता है तो उसके मां-बाप का रिलेशन अपने बहन मां बाप, भाइयों  चाचा,चाची ताऊ  बूआ फूफी मौसी से जैसे भी रिलेशन होते हैं  वो ही इस बच्चे के स्वभाव  दिखाई देने लगेगा अगर दिल की रिलेशन है तो सब आकर उस बच्चे को प्यार दुलार आशीर्वाद देते हैं और अगर रिलेशंस जरूरत के बना रखे हैं तो लोग भी लोग दिखावा, उनकी जरूरत के हिसाब से ही प्यार दुलार आशीर्वाद देते हैं
जैसे को तैसा जैसे मां-बाप उसके  मां-बाप वैसे ही बच्चे को गिफ्ट दुलार कपड़े खिलौने मिलते हैं  मम्मी पापा के रिसते इन सब से जैसे होगें उतना ही प्यार इस बच्चे को मिलता है

अब देखो ना बचपन मे दादा दादी चाचा चाची ताऊ मामा फूफा बुआ सब के  सब की झोली में जब ये बच्चा जायेगा तो बताओ कैसा बीतेगा ?? उस बच्चे का बचपन बहुत ही अच्छा होता है और अगर इसके मां-बाप के रिश्ते यदि परिवार में जरूरतों के अनुसार हैं तो इस बच्चे का बचपन भी लोगों की आपस की जरूरतों के अनुसार ही मिलना जुलना होता है

इसीलिए इन रिश्तो को बनाकर रखने की अहमियत बहुत ज्यादा है
बच्चा जब प्यार दुलार से सभी रिश्तेदारों के मिलते जुलते आशीर्वाद से जब बड़ा होता है तो उसके करैक्टर में उसके चरित्र में सभी  रिश्तेदारों रिलेटिव्स के गुणों का समावेश होता है यानी सभी के संस्कार अच्छी भावनाएं अच्छे विचारों का समावेश होता है और वह बच्चा बड़ा होकर इन्हीं बातों  अहमियत देगा। रिश्तों को भी आगे बनाकर रखता है लेकिन जिसके मां बाप अकेले  पड़ जाते हैं चाहे वह नौकरी बिजनेस के कारण या आदमी के लालच,  आपस के मनमुटाव के कारण अकेले रहकर, लोनलीनेस अकेलापन से अपने बच्चों को पालते हैं तो उन बच्चों में संस्कार दूसरी तरह के जग जाते हैं और वह इन रिश्तों की अहमियत को बहुत ज्यादा वैल्यू नहीं देते हैं

इन बच्चों में गुस्सा, एंजायटी और तूनकमिजाज गुस्सा देखने को मिलता है  ये बच्चे  इन रिश्तो की अहमियत एक धागे के समान समझते हैं जिसको कभी भी तोड़ कर गांड मारते हैं  रहते हैं  क्योंकि ये रिसते दिलसे नहीं जरूरत के अनुसार बने हूये है लेकिन रिश्ते ऐसी नहीं होने चाहिए । हमें इनको बनाकर, बिना गांठ के बनाकर रखना चाहिए  हमें इनको दिल से  बना कर  प्यार से बनाकर रखना चाहिए

उमर दराज दादा का प्यार ,भावना बुआ का दुलार आशीर्वाद , दादा दादी नाना नानी सब के आशिर्वाद कि तरंग की  Energy जब इस बच्चे के  चंद मुन  यानी सबकोनसीयस माइंड में इकट्ठे होते रहते हैं उस बच्चे में इमोशंस जगते रहते हैं।
यानी नौ ग्रहों के रिश्तेदार जैसे सुर्य पिता मां चंद्रमा,  मंगल भाई बहन, बुध मामी मोसी बुआ फुफी राहू केतु दादा दादी नाना नानी इन रिश्तों को रिप्रेजेंट करते हैं

हर एक ग्रह जिसको रिप्रेजेंट करते हैं और उन्हीं ग्रहों का समावेश इसके चरित्र में  स्वभाव में आ जाता है

अब मैं इसको एस्ट्रोलॉजीकली  बताता हूं।  एक्सप्लेन करता  हूं । हमारा हर एक का  लगन यानी एसेंडेंट का स्वामी भी कोई न कोई ग्रह होता है और हर बच्चे का दिमाग, हर बच्चे का चरित्र, हर बच्चे का सबकॉन्शियस माइंड, भी  इस लग्न के स्वामी गृह और उसकी राशि के अनुसार ही चेंज होता रहता है ।  बदलता रहता है जिसके कारण उस बच्चे के करैक्टर स्वभाव  बदलाव होना निश्चित है। इसको जानने के लिए हमें एक ज्योतिषी एस्ट्रोलॉजर का सहारा लेकर ही समझ सकते है इसीलिए  हमें हर एक को एस्ट्रोलॉजी की एडवाइस लेने की बहुत जरूरत होती है ताकि  हम जान सके की हमारे बच्चे में किन किन गृहो का प्रभाव ज्यादा है

वैदिक सनातन ज्योतिष  इसी आकाश  कि सिथती चित्र, सनेपसोट का चित्र जो भी बनता है जब हम जंन्म लेते हैं इसी पर आधारित गणना को हम ज्योतिष ज्ञान या शास्त्रों का ज्ञान कहते  है। इन गृहो का समावेश उस परटीकुलर टाईम पर जो आकाश में मानचित्र बनता है   इसी के बेस पर गणना करके ही ज्योतिषी हमारे सब संस्कार बताता है हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत ही सुन्दर अ जाते थे जो भारत में एक विश्व गुरु की तरह काम करते थे पाश्चात्य शैली जब से ज्यादा बड़ी है तब से वैदिक सनातन संस्कारों की वैल्यू को कम करते चले गए जिसके कारण हमारे संस्कारों हमारी भावनाओं हमारे धार्मिक रिलेशंस का भी पतन होता गया और आज इस कलयुग में एक धागे की तरह रिलेशंस बनते भी हैं तोड़ते भी हैं  और गांठ मार के फिर चलते रहते हैं अपने जीवन में कितनी शांति कितनी दूविधा लानी है यह हर एक बंदे के ऊपर डिपेंड करता है  कि वह कैसे अपने रिलेशंस को मेंटेन कररके रखै।

जब मैं इसको पूर्व जन्म से रिलेट करता हूं तो यह 3थर्ड हाउस एंड 8th हाउस यानी एंट्री टू दिस अर्थ तीसरा घर जब जंन्म लेते हैं और एग्जिट फ्रॉम दिस अर्थ  इस धरा को छोड़ कर चले जाना आठवां हाउस आठवां भाव माना जाता है आठवें घर से जब कोई आत्मा विदाई  लेती है तो उसकी अगला जन्म यानी थर्ड हाउस तीसरे घर से होता है

तीसरे घर में जो भी राशि ग्रह बैठा होता है उसी के गृह के पेंडिंग कर्म को बताता है और जो भी शुभ लग्न इस बच्चे को  मिला है वह इसके चरित्र को, उसके स्वभाव को बताता है इसी लिए हर लगन का अपना अपना बहुत महत्व है
एस्ट्रोलॉजीकली हर एक लगन का स्वभाव, चरित्र, सोच कर्म अलग-अलग होते हैं इसीलिए हम सब आदमियों में विभिन्नता दिखाई देती है लेकिन इसमें सामंजस्य बैलैश  बना कर रखना हमरे हाथ में है

काम क्रोध मद मोह लोभ हर इंसान में कम या ज्यादा मिलता है  यह विभिन्नता  हमारे लग्न के स्वामी गृहों के कारण होती है।

हमारे पूर्वजों  गुरुओं ऋषीयो ने जो सनातन धर्म में शिक्षा व संस्कार बनाए उनके अनुसार यदि हम जीवन में चलते हैं तो इन रिश्तो की अहमियत को  अच्छी तरह समझ सकते हैं या इनको बनाकर रख सकते हैं नहीं तो इस कलयुग में जो रिलेशनशिप में  देखने को मिल रहा है  यह कभी भी भारत मे नही था  जो अब हो रहा है कि लोगों का रिश्ता छः साल क्या छः महीने नहीं चल पा रहा है
अज्ञान के कारण  बचपन के प्यार की कमी के कारण सच्चे इंसान की  परख समझ के कारण और रिश्तो की अहमियत को ना समझने के कारण  आज ऐसा हाल हो रहा है क्योंकि उसने जो जो संस्कार अपने परिवारों में सीखे हुए हैं  जैसा प्यार उसको रिस्तेदारो से मिला उसी के अनुसार वह व्यवहार करता है

इसीलिए पारमपारिक  बड़े परिवारों का जो चलन भारत देश में था वह बहुत ही महत्वपूर्ण था।  आज  समय बदलते बदलते लोगों की जरूरतों को बदलते बदलते छोटे परिवार , लोनलीनेस स्मॉल फैमिली,  हम दो हमारे दो का नारा जब से बूलंद हुआ है और पाश्चात्य शैली का समावेश भारत देश की कल्चर में हुआ है  तब से  हमारे भी रिलेशन टुटने लगे है  दो दो तीन तीन शादियों का चलन शूरू हूआ है। ओर इसी के कारण भारतीय लोगों में आपस के प्यार और रिश्तों में मिठास की कमी दिखाई पड़ रही है 

हम पहले जो सात फेरे ,सात पीढ़ी, सात जन्मों का साथ है , सात ग्रहों की बातें और  संस्कारों का गुणगान करते थे वह अब विलुप्त होता जा रहा हैं और इसी के कारण हमारे रिश्ते आपस के रिश्ते टूटते हुए नजर आ रहे हैं
मेरे इस लेख का मतलब मक़सद यही है कि  मैं आपको यह समझाना चाहता हूं कि  हमारे जीवन में हर रिश्ते की , हर इंसान की,  परिवारिक रिसतों  की एक अहमियत है।  जो हमारे ऋषियों ने बताई उसका पालन करेंगे तो हमारे रिश्तो में मिठास बना रहेगा सामंजस्य बना रहेगा और हम जीवन को शांतिपूर्ण जिकर इस धरती से विदा ले सकते हैं

यदि हमने अपने सनातन ज्योतिष विद्या में बताए गए संस्कारों का पालन नहीं किया तो  एक दिन पाश्चात्य देशों की तरह हमारे भारत देश में भी रिलेशनशिप मैरिड लाइफ कई कई शादियां,  इनका चलन जो आज शुरू हो रहा है और बढ़ता ही जाएगा इसी लिए हमें अपनी ओरिजिनल ज्योतिष संस्कार , अपने सनातन धर्म के बनाए हुए नियमों का पालन करना चाहिए ।

इनका पालन यदि हम करते हैं तो हम सर्वे कुटुंबकम यानी  की सारी धरती,  सारा संसार ही हमारा परिवार है यही  शिक्षा हमारे सनातन धर्म में  दी गई है। धन्यवाद आपका जो आपने मेरे लेख को अंत तक पढ़ा मैं आपका सुक्रगुजार हूं 

नमस्ते। Wish you All the best. Havy a Nice day ahead.

🌹💖 *शुभ प्रभात* 💖🌹

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